Tuesday, April 19, 2016

चितकबरा सलाम

चितकबरा सलाम

वैसे तो हर शब्द अपने अर्थ में विशिष्ट होता है, पर जब दो शब्द एक दूसरे से संयोजित होते है तो कुछ नया अर्थ उत्पन्न करते हैं। आप चितकबरा और सलाम इन दोनों शब्दों से तो परिचित हैं, किन्तु इनका एकसाथ प्रयोग आपके दिमाग पर थोड़ा ज़ोर डाल रहा होगा, क्योंकि अभी तक आपने समाज में परिवर्तन और विकास हेतु अनेक विचारों पर आधारित कई प्रकार के सलाम सुने हैं, जैसे लाल-सलाम (मार्क्स के विचारों पर आधारित), सफ़ेद-सलाम (गांधी के अहिंसक विचारों पर आधारित), नीला-सलाम (अंबेडकर/दलित  के विचारों पर आधारित), गुलाबी-सलाम (महिला अधिकारों हेतु संघर्षरत), किन्तु चितकबरा सलाम आपके कानों या आंखो से होते हुये मस्तिष्क तक की यात्रा पहली बार ही कर रहा होगा। तो आपको बता दे कि हाँ आप बिलकुल सही हैं। क्योंकि चितकबरा सलाम आज के इस उत्तर आधुनिक युग एक नए विचारों, सोच, दृष्टिकोण, मान्यताओं एवं दर्शन आदि को प्रतिस्थापित करना चाहता है। जो समाज में वांछित परिवर्तन को प्राप्त करने हेतु प्रोत्साहित करेगा।
ऊपर जिन विभिन्न वैचारिक सलाम को बताया है, उनमें से प्रत्येक का अपना एक विशेष महत्व है और समाज को बदलने में इनका विशेष योगदान है। जहां मार्क्स के लाल सलाम ने विश्व के अनेक देशों में सत्ता और समाज परिवर्तन को दिशा दी वही गांधी ने सत्ता और विशेष रूप से समाज निर्माण हेतु एक नवीन अहिंसक सफ़ेद सलाम से परिचित कराया। समाज की संरचना में व्याप्त आंतरिक असमानताओं (जाति आधारित भेदभाव) को बदलने हेतु नीले सलाम ने एक विशेष योगदान दिया है। महिला अधिकारों और नारी सशक्तिकरण की बात को मजबूती से समाज के सामने प्रस्तुत करने वाले गुलाबी सलाम ने महिलाओं को अपने विचार पुरुषो की इस दुनिया में रखने हेतु एक सशक्त वैचारिक शक्ति प्रदान की है।
हम इन सभी विचारों को कमतर आँकने का प्रयास नहीं कर रहे हैं और न ही समाज में परिवर्तन हेतु किए गए इनके योगदान भुला रहे है, किन्तु तार्किक मूल्यांकन करने पर कुछ तथ्य भी सामने आते हैं। जो उपरोक्त विचारधाराओं में कुछ कमियों की ओर इशारा करते हैं।
अंबेडकर के विचारों पर आधारित नीले सलाम (आन्दोलन) ने निसंदेह समाज के वंचित वर्ग को आर्थिक/सामाजिक/राजनैतिक विकास का एक मार्ग उपलब्ध कराया है।  भारत में आज दलित/वंचित वर्ग की विकास में जो कुछ हद तक जो बदलाब आया है, उसमें इस नीले आंदोलन का विशेष योगदान है। किन्तु जब भारतीय समाज का सूक्ष्म विश्लेषण करें, तो ज्ञात होता है कि आज समाज में संवैधानिक प्रावधानों का उपयोग करते हुये समाज में कुछ नीले सवर्ण/सामंत विकसित हो गए हैं। जो समूहिक विकास के सिद्धान्त के स्थान पर व्यक्तिगत सशक्तिकरण कि ओर ज्यादा कार्यरत हैं। ये नीले सवर्ण बिलकुल परंपरागत सवर्णों/सामंतों कि तरह ही व्यवहार करते हैं, बस बात अपने वर्गो के अधिकारों की करते हैं(ताकि समाज के सम्पन्न शक्तिशाली लोगो के साथ मिलकर समुदाय की राजनैतिक शक्ति का सौदा कर सकें)। तो चितकबरा सलाम इस प्रकार के छदम बदलाव की बात नहीं करता बल्कि समाज में वास्तव में समानता और समाजवाद की स्थापना की हेतु कार्य करने की बात करता है।
गुलाबी सलाम ने मुखर रूप से महिलाओं से जुड़े मुद्दों और बातों को मजबूती से समाज के सामने रखने का प्रयास किया है लेकिन इस वैचारिक आंदोलन की मुख्य खामी है, पुरुषवादी सोच द्वारा स्थापित सामाजिक मूल्यों को को ही प्रतिस्थापित करना। समाज में आज भी उन्ही गुणों (भावनविहीनता, तार्किकता, प्रतिस्पर्धा, आदि) एवं कार्यो (नौकरी, राजनीति, घर से बाहर के कार्य) को ज्यादा महत्व दिया जाता है जिनमें शारीरिक बल की आवश्यकता हो या जिन्हें मुख्यता पुरुष कर कर सकते हैं। इसलिए आज समाज में महिलाएं भी ऐसे ही कार्यो को करना चाहती है जिनको पुरुष द्वारा किए जाते हैं। महिलाएं भी सिर्फ उन्ही क्षेत्रों में सहभगिता को सशक्तिकरण मानती है जिनमें पुरुष कार्यरत है। चितकबरा सलाम एक नयी नारीवादी विचारधारा को नारी सशक्तिकरण से जोड़ता है। चितकबरा सलाम उन सभी कार्यो एवं गुणों को समाज में सबसे ज्यादा प्रतिष्ठा प्रदान करना चाहता है जिनको अभी तक गैर महत्वपूर्ण माना जाता रहा है। इसका मतलब यह नहीं की महिलाएं अन्य क्षेत्रों में सहभागी न हो। पर यदि समाज घरेलू कार्यो, बच्चों की देखभाल जैसे कार्यो को कम महत्वपूर्ण और नौकरी, राजनीति आदि जैसे कार्यो को अधिक महत्वपूर्ण मानता रहेगा, तब एक नए प्रकार का संघर्ष स्त्री-पुरुष के बीच होगा। इससे स्त्री सशक्तिकरण का पैमाना पुरुष द्वारा किये जाने वाले कार्यो में सहभागिता हो जाएगा।
इसके विपरीत चितकबरा सलाम एक ऐसी सामाजिक चेतना विकसित करना चाहता है। जिसमें सभी कार्य और गुण समाज के लिए महत्वपूर्ण माने जाए, खासकर जो महिलाओं द्वारा संपादित किए जाते हैं। अगर हम एक ऐसी चेतना समाज में विकसित कर पाये जिसमें रातभर अपने नवजात शिशु की देखरेख करना, घरेलू कार्य करना, खाना बनाना समाज के अन्य कार्यो से ज्यादा महत्वपूर्ण कार्य हो। तब हम निसंदेह नारी सशक्तिकरण के नए युग का सूत्रपात करेंगे।
इसी प्रकार सामाजिक बदलाव के दो मुख्य विचारों मार्क्सवादी और गांधीवादी पर भी कुछ चितकबरा सलाम एक नया दृष्टिकोण प्रतिस्थापित करना चाहता है। अपनी अनेक विशेषताओं और व्यापक दर्शन के बाद भी इन दो विचारधाराओं में एक छोटी सी वैचारिक कमी है, जिसके कारण इन दो विचारधाराओं पर आधारित समाज विश्व में कही भी नहीं बन पाया। मार्क्सवादी विचारधारा सामाजिक बदलाब हेतु सक्रिय संघर्ष को प्रोत्साहित करती है और बदलाव हेतु इसी को एक मात्र रास्ता बताती है। समाज की सत्ता हो या संरचना दोनों में हिंसक और अहिंसक दोनों रास्तो से परिवर्तन किया जा सकता है पर जब समाज के पुनर्निर्माण की बात आती है तो तब समाज में संघर्ष की जगह सहयोग, आपसी सहमति, समंजन की आवश्यकता होती है, और इसी स्थान पर मार्क्सवादी विचारधारा कमजोर हो जाती है। क्योंकि लाल सलाम संघर्ष को तो महत्वपूर्ण मानता है, किन्तु शांति, सहयोग, सहभागिता अहिंसा के महत्व और आवश्यकता पर उतना गंभीर नहीं है। इसके ठीक विपरीत गांधीवाद अहिंसा को कुछ ज्यादा ही महिमामंडित करता है। समाज के निर्माण एवं सतत विकास हेतु निश्चित ही अहिंसा, शांति और आपसी भाईचारा एक मात्र रास्ता है। पर जब समाज की संरचना में एक समय बाद व्यापक बदलाव की आवश्यकता हो तो संघर्ष और यथोचित हिंसा भी उतनी ही महत्वपूर्ण है।
समाज की प्रक्रियायाओ को संचालित करने के लिए संघर्ष और शांति, हिंसा और अहिंसा दोनों ही महत्वपूर्ण हैं। चितकबरा सलाम मार्क्सवाद के हिंसा/संघर्ष और गांधीवाद के शांति/अहिंसा के अतिरेक को सम्यकता (यथोचित) में समाहित करने को प्रोत्साहित करता है, और चितकबरा सलाम समाज की दो महत्वपूर्ण अवधारनाओं को संयोजित करते हुये एक नए दृष्टिकोण को प्रतिस्थापित करना चाहता है। जब समाज में व्यापक/मूलभूत बदलाब और किसी मुद्दे पर शक्ति की जरूरत है, तो चितकबरा सलाम चट्टान से भी शक्त होने वाली विचारधारा है, और जब समाज में निर्माण और शांति की आवश्यकता है तो यह विचारधारा पक्षियों के पंख से भी कोमल हैं।
अब अंत में चितकबरा सलाम के शाब्दिक अर्थ पर भी कुछ विश्लेषण कर लेते हैं। तो जब हम कई रंगो को एक साथ प्रयोग किसी चित्र या जगह पर करे, तब लोग ऐसे रंगो के संयोजन को देखकर स्थानीय भाषा में चितकबरा कहते हैं। चूकि यह नयी वैचारिक यात्रा कई विचारधाराओं की विशेषताओं का संयोजन और कमियों को दूर करते हुये नए समाज की और परिवर्तन की बात करती है, जो सिद्धान्त से ज्यादा  व्यवहारिक पक्ष को महत्वपूर्ण मानती है।

इसलिए कई वैचारिक रंगो को समाहित किए हुये यह वैचारिक आंदोलन चितकबरा सलाम है...................

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