Tuesday, September 4, 2018


लघु कथा – जन्माष्टमी विशेष
कनफ्यूजन
आजकल के माँ-बाप जीवन, सत्य, धर्म आदि बातों में कनफ्यूज ही रहते हैं, और बच्चों को भी कनफ्यूज किए रहते हैं... कल जैसे ही जन्माष्टमी पर मम्मी ने राहुल को कृष्ण जी की पोशाक और आभूषण पहनाए तो राहुल से रहा नहीं गया और वह बोल ही पड़ा मम्मा-पापा आप लोग डिसाइड क्यों नहीं कल लेते की मुझे बनाना क्या है? पापा थोड़ा आश्चर्य से पूछते हैं, क्या मतलब है तुम्हारा? राहुल कहता है- पापा आप लोग हर साल मुझे जन्माष्टमी पर कृष्णजी बनाकर खुश होते हो, पर हमेशा मुझसे भगवान राम जी की तरह मर्यादा और आज्ञाकारिता की अपेक्षा करते हो। अब आप ही बताओ जो आप बनाते हैं मैं उनकी तरह (कृष्ण) विचार,व्यवहार करूँ, या जो आप मुझे नहीं बनाते पर अपेक्षा वैसे (राम) बनने की करते हो, उनकी तरह बन जाऊँ। प्लीज आप लोग डिसाइड कर लीजिए क्योंकि आप लोग की तरह जीवन भर कनफ्यूज रहते हुये मैं कहीं बहरूपिया न बन जाऊ। दिखने मैं कुछ और हकीकत में कुछ।